कहानी- उम्मीद की नई किरण
सोना एक स्कूल में पढ़ाती थी। घर के कामो के लिए उसने पास की हो झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली कांता को रख लिया था कांता का पति पास की ही फैक्ट्री में लेबर था जो पैसा मिलता उससे किशोर शराब पी जाता। कांता की 2 बेटियां थी शोभा और सुंदरी । किशोर को सिवाय शराब के कुछ नही दिखता।कांता भले ही खुद अनपढ़ थी मगर वो अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर किसी लायक बनाना चाहती थी।दिन रात मेहनत करके जो पैसे मिलते उनको एक करके जोड़ती ।ताकि उसकी बेटियां भी स्कूल जाकर पढ़ सके। कांता जहाँ रहती थी वहां का माहौल बेहद ही गन्दा था यूँ कहे तो सिवाय गंदगी के वहाँ कुछ नही था और ऊपर से अशिक्षित लोग जिनका जीवन सिर्फ मजदूरी करके पैसा कमाना और उस पैसे से शराब और खाने का ही प्रबंध कर पाते थे वो लोग, तो बस्ती के लोग अपनी बच्चियो को पढ़ने के लिए न भेज कर कुछ ऐसा काम करते थे जिसको सुनकर शर्म आती थी कि कोई अपनी बेटियों से भी ऐसा काम करवा सकता है। और वो भी सिर्फ चंद पैसों के लिये।बस यही समाज था कांता का।जिससे वो बाहर निकलना चाहती थी। दोनो बेटियों के बारे में सोचकर न जाने क्यूँ कभी कभी कांता कुछ ज्यादा ही परेशान रहती। उस झुग्गी के पास जो