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Showing posts from October, 2017

लौट आओ न तुम

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यूं जाते जाते एक बार मुड़कर तो देख लेते, कोई रो रहा था ये समझ तो लेते, तेरे जाने का गम नही था मुझे, बस मेरे तड़पते हुए दिल का दर्द समझ लेते माना कि तेरी मंजिल तेरे करीब थी, कोई और तेरा नसीब था मुझे छोड़कर जाना था, मेरा हाल कुछ खास नही रहता अब, वो हँसती हुई पगली सी लड़की अब हर रोज नही मुस्कुराती, कभी कभी सबको दिखाने के लिऐ हँसने का दिखावा कर लेती हूं मगर माँ न जाने क्यूँ वो छुपे आँसू देख लेती है, मैं हर रोज उस दर्द से गुजरती हूँ, जब वो चाहत याद आती है, मैं हर रोज उस सुर्ख गुलाब की पत्तियां छू लेती हूँ, तुमने दिया था मुझे जो गुलाब  पहली मुलाकात में, आज भी वैसे ही किताब छुपा रखा हैं, सारी बाते याद आती है मुझे,वो शाम की गुलाबी सी धूप और फिर बारिश का पानी,सब याद है, बस एक तुम ही हो जो यादों में आकर भी तड़पा जाते हो, वरना उन लम्हो से ऐसा इश्क हो गया , कि ये दिल आज भी सोचता है, कि आ जाओ लौट कर मेरे मीत। " उपासना पाण्डेय"( आकांक्षा)  हरदोई ( उत्तर प्रदेश)

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कविता-रिश्तों के भंवर में

ये मेरा मन उदास सा क्यों है, सब के साथ हूँ। मगर क्यों एक भ्रम जाल सा बन गया है। मैंने भी महसूस किया ये बदलाव हैं। क्यों मुझे कुछ समझ नही आता। जितना सुलझा रही हूं ये उलझे हुऐ रिश्ते। उतना ही उलझते जा रहे है मेरे ये रिश्ते। किसी को छोड़ नही सकती,वो भी खास है और ये रिश्ता भी खास है। क्यूं मैं खुद खोती जा रही हूँ। मेरे लिये दोनो ही रिश्ते जज्बातो से जुड़े हैं। एक को भी खो दिया तो जी नही पाएंगे। रिश्तों में कैद मेरी ज़िंदगी है। खुल कर जीना चाहती हूं ज़िन्दगी अपनी। मगर दिल की बेचैनी ने परेशान कर रखा है। रिश्तों में खुद को उलझा रखा है। "उपासना पाण्डेय" हरदोई( उत्तर प्रदेश)

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मेरी शायरी...कुछ तो बाकी है

❤बस तेरे साथ जीने की ख्वाहिश है मुझे..........अगर छोड़ना ही होता तो मोहब्बत ही क्यों करते हम......... बस ये सोचते हैं कि कैसे तुम्हे आज भी बस हमसे दूर होने की ख्वाहिश रहती है..........क्या मोहब्बत में बिछड़ने के बाद लोग जी पाते है.....पता नही उन लोगो का मगर ....बस ये ज़िन्दगी तुम तक है और तुम पर ही खत्म होगी........माना कि हमेशा से कोई खास रहा कोई......न जाने मेरी एहमियत कब समझ आएंगी........... तकलीफ होती है जब तुम कहते हो कि अभी भी वक़्त है हम तुमसे बिछड़ जाए मगर........ क्या कभी ये नही कह सकते कि हमसे दूर मत जाना कभी..............क्या कभी सोचा है तुम्हारा ये सवाल हमे हर रोज कमजोर बना देता है कि क्या सिर्फ मैने कोई प्यार नही गुनाह किया हो......।।❤उपासना पाण्डेय"❤

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प्रतिलिपी पर मेरी रचना

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कविता -दिल की बात     दिल मे नही रुकते अब मेरे जज्बात ,तुम रहते हो मेरे दिल के पास ,मुझे फर्क नही पड़ता कि तुम रहते हो मुझसे दूर,बस तुम्हे कोई जब देखता है, तो दिल पता नही क्यों हो जाता है उदास,उसको भी खबर है कि तुम सिर्फ मुझसे मोहब्बत करते हो,मगर न जाने कैसे अजीब सा होता है एहसास,कि कही कोई तुम्हें हमसे अलग न कर दे बड़ी मुश्किलो से मिले हो तुम,हर बार मोहब्बत में खुद को आजमाएं ,ऐसा हम सोचते नही तुम मेरी ज़िंदगी हो और तुम ही मेरी आखरी मोहब्बत हो सुना है कि लोग तुम पर मरते हैं मगर प्यार सिर्फ हम तुमसे करते हैं  ये जान भी तुम्हारी होगी ये लड़की और उसकी सांसे भी तुम्हारी,बस कभी भूल जाना तो बता देना हम उस पल खुद ही दूर हो जायेगे,चले जायेंगे इतनी दूर,कि कभी नज़र न आएंगे,फिर तुम भी ढूढंने कि कोशिश न करना,बस रखना दिल पर हाथ अपने और धड़कनों में महसूस करना।।                                       "उपासना पाण्डेय"हरदोई (उत्तर प्रदेश)

वतर्मान अंकुर में प्रकाशित मेरी रचना

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प्रतिलिपी में प्रकाशित मेरी कविता

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प्रतिलिपि में प्रकाशित लव स्टोरी

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प्रतिलिपी में प्रकाशित एक लघुकथा

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प्रतिलिपी में प्रकाशित रचना

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मेरा प्रतिलिपी का लिंक

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प्रतिलिपी पर प्रकाशित स्टोरी

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प्रतिलिपी में प्रकाशित रचना

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प्रतिलिपी में प्रकाशित मेरी रचना

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प्रतिलिपी पर एक और लव स्टोरी

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दीवाली पर कुछ शब्द

दीवाली है रौशनी का त्यौहार, लाये हर चेहरे पर मुस्कान, सुख और समृधि की बहार, समेट लो सारी खुशियाँ, अपनों का साथ और प्यार इस पावन अवसर पर आप सभी को दीवाली का प्यार.हैप्पी दीवाली

प्रतिलिपी पर प्रकाशित स्टोरी

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प्रतिलिपी में प्रकाशित स्टोरी

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प्रतिलिपी में प्रकाशित मेरी स्टोरी

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About owner/blog writer

About owner/blog writer Nick Name-Upasna Pandey Full Name-Akanskha Pandey Education-B.Sc..(other qualification-A.D C.A) Work-poetess.hindi story writer Address-Azad nagr Hardoi.(U.P.) Facebook-UpasnaPandey(आकांक्षा पांडेय)@gmail.com Twitter-UpasnaPandey4 Website-litraturpointblogspot.worldpress.com

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मेरी कलम से।

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मेरी कलम से।

"मुक्तिबन्धन", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : http://hindi.pratilipi.com/akanskha-pandey-upasna/muktibandhan?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओँ में अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और दोस्तों से साझा करें, पूर्णत: नि:शुल्क

मेरी कलम से

     मेरी कविता-इजहार सर्द सी रात और वो जनवरी की मुलाकात तुम्हारा वो प्यार,मेरा वो तुमसे मोहब्बत का इजहार वो तेरा सुहाना सा सफर और वो जनवरी की  हमारी पहली मुलाकात, तुम्हारा मेरी ज़िंदगी मे आना और ज़िन्दगी का एक पल का सफर  उम्र भर का तुम्हारा साथ और तुम्हारा वो अपनेपन का एक एहसास, और तुमसे मिलने का वो ख्वाब वो तुम्हारा पहला इनकार,और फिर वो तुम्हारा बेइंतहा प्यार,कितनी खास थी वो रात जब तुमसे मोहब्बत का इजहार किया था,और तुम्हारा वो इंकार मुझे खलता बहुत था,मोहब्बत पर यकीन नही था तुम्हे आज शायद समझा तुमने चाहत को हमारी तभी तो आज भी हम है साथ,बस तेरा साथ मिलता रहे,और चाहिये मुझे ज़िन्दगी का भर प्यार।। "उपासना पाण्डेय(आकांक्षा) आज़ाद नगर हरदोई(उत्तर प्रदेश)

मेरी कलम से

      मेरी कविता-बस जी लूँ जरा प्यार कभी नही मरता.... बस सांसे साथ छोड़  देती है,वरना हमे उनसे साथ मोहब्बत कितनी ये एक रोज उनको बता देती मैं कभी खत्म न होती मोहब्बत हमारी हर रोज एक नई दास्तान लिखती मैं तुमको रोज पढ़ती उस किताब के जैसे तुमसे मिलती एक खत्म न होने वाली मुलाकात की तरह, रोज नए किस्से लिखते मोहब्बत के खातिर,और हर रोज तुम्हारी तसवीर बनाती कभी तुम जो कहते कि रूठ जाओगे तो हम हाथों को थाम कर तुम्हारे मना ही लेते है,कुछ रूठना लिखती तुम्हारा हर रोज नई बाते करते ,हर रोज संवरती मैं बस अब ये सब ख्वाब सा लगता है बस खुद को यूँ मायूसी की नज़रों से देखना है मगर फितरत नही की बदल जाएंगे हम अगर सोचते हो कि हम भूल जायेगे तुम्हे तो सिर्फ वहम है मेरे सनम।। "उपासना पाण्डेय(आकांक्षा) हरदोई(उत्तर प्रदेश)

मेरी कलम से

         ज़िन्दगी के दोराहे पर किस्मत ये कहां रुक गए मेरे कदम,तुम तो साथ थे फिर क्यों अकेले हो गये हम, तुम तो हर रोज यही वादा करते थे कि जब तक सांसे है तुम तब तलक साथ रहोगे,जरा सी ठोकर लगी तो तुम भी छोड़कर चले गये, इस भीड़ में हर रोज कितना संभाला खुद को मगर हर रोज टूटी भी कांच की तरह और खुद को समेट भी लेते ,मगर क्यों कोई अपना न था हर रोज मांगी थी मैने मौत ,मगर ज़िन्दगी भी ज़िद्दी हो गयी थी मुझे खुद ही नही पता था कि कहाँ जाना है बस ये नाकाम सी ज़िन्दगी जीने लगे थे।            "उपासना पांडेय(आकांक्षा)            

मेरे विचार

मेरा लेखन और मेरी कविताये ही मेरा नया सफर है, मेरी कविताओ में कहानियों में आपको मेरी भावनाएं और समर्पण देखने को मिलेगा।पता नही ज़िन्दगी की आखरी शाम कब हो जाये,लिखते लिखते ये कलम रुक जाए।               "  उपासना पाण्डेय(आकांक्षा)                         हरदोई(उत्तर प्रदेश)

मेरा सफर

ज़िन्दगी यू हर कदम पर साथ चलती रही कभी रुकी हर रोज नया तजुर्बा मिला मुझे कभी अपनो ने साथ छोड़ा कभी अपनो से ही दर्द मिला मेरा ये सफर कभी रुकेगा नही।       "उपासना पाण्डेय" हरदोई (उत्तर प्रदेश)