"बारिश", को प्रतिलिपि पर पढ़ें :
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ये मेरा मन उदास सा क्यों है, सब के साथ हूँ। मगर क्यों एक भ्रम जाल सा बन गया है। मैंने भी महसूस किया ये बदलाव हैं। क्यों मुझे कुछ समझ नही आता। जितना सुलझा रही हूं ये उलझे हुऐ रिश...
सोना एक स्कूल में पढ़ाती थी। घर के कामो के लिए उसने पास की हो झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली कांता को रख लिया था कांता का पति पास की ही फैक्ट्री में लेबर था जो पैसा मिलता उससे किशोर ...
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