"आखिरी पड़ाव", को प्रतिलिपि पर पढ़ें :
https://hindi.pratilipi.com/story/0RDdfgDLpSEG?utm_source=android&utm_campaign=content_share
भारतीय भाषाओँ में अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और दोस्तों से साझा करें, पूर्णत: नि:शुल्क
कविता-रिश्तों के भंवर में
ये मेरा मन उदास सा क्यों है, सब के साथ हूँ। मगर क्यों एक भ्रम जाल सा बन गया है। मैंने भी महसूस किया ये बदलाव हैं। क्यों मुझे कुछ समझ नही आता। जितना सुलझा रही हूं ये उलझे हुऐ रिश...
Comments
Post a Comment