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Showing posts from March, 2018

कविता- दिल की बात दिल ही जाने

कविता- दिल की बात दिल ही जाने तुम हकदार हो उन शब्दों के, जो आज तक कभी कह नही पायी, तुम न मिले होते तो क्या लिख पाती, इन शब्दों को लिखने के लिए, जज्बात तुम बने , मैं कलमकार थी, तुम शब्दकोश बने,  मैं कोयला से हीरा बन गयी, रास्ते का  पत्थर थी मैं,  मन्दिर की खूबसूरत मूरत बन गयी, बहुत ख़ुशनसीब हूँ मैं,  जो तुम्हारे प्यार के काबिल बनी, प्यार तो आज सब करते हैं, फिर सब एक दिन दोराहे पर छोड़ जाते हैं, ये कैसा नसीब था मेरा, ठोकर मिली और टूट गयी मैं, हर रोज खुद को कोसती रही, फिर तुम मिले अचानक एक अनजाने मोड़ पर, और फिर मोहब्बत की कहानी शुरू हुई, एक सच्चा हमसफ़र मिल गया, बेवफाई के दौर में सच्ची और पवित्र मोहब्बत मिली, जिंदगी के जो सबक मिले, उनको झुठलाने लगी हूँ मैं, कुछ वक्त ने दर्द दिया था उसको भूलने लगी हूँ, ख्वाब मेरे बस टूटने को ही थे, तुम आये और समेट लिया एक पल में ही, तिनके सी बिखरने लगी थी जिंदगी मेरी, अब तुम्हारे नाम के साथ मेरी जिंदगी जुड़ने लगी है, तुम्हारे लिए खुद को सवारने लगी हूँ,  महकते गुलाब हो तुम मेरी बगिया के, तुमसे ही ये वीरान सी ज़िन्दगी महकने लगी है,

कविता-आधुनिक युग की नारी हूँ मै

मैं आधुनिक युग की नारी हूँ, कमजोर नही हूँ मैं, सीमा को लांघना सीखा नही कभी, ऐसे संस्कार मुझे मिले नही, पहनती हूँ जीन्स टॉप भले ही, मगर बुजुर्गों का सम्मान करना सीखा है मैंने, कोई निर्भया बनाकर तोड़ना चाहता है, मगर मुझे चलने का हौसला आता है, हर मुश्किल का सामना करना जानती हूँ, मैं आधुनिक युग की नारी हूँ, मुझे हारना नही आता, लक्ष्मीबाई बनकर उनका सामना करना जानती हूँ, कभी दुर्गा का रूप लेकर, कभी काली का रूप लेकर, हर युग मे राक्षस रूपी दानव का संहार करना जानती हूँ, मैं आधुनिक युग की नारी हूँ, कभी मिट्टी का तेल डालकर जलाने की कोशिश होती है, कभी मुझे गर्भ में मारने की साजिश होती है, मगर मैं कभी हारी नही , कभी दहेज रूपी दानव का शिकार हुई, कभी बलात्कर और छेड़छाड़ का शिकार हुई, आधुनिक युग की नारी हूँ मैं, डटकर सामना करती हूँ मैं, कभी एसिड अटैक का शिकार हुई, कभी सरेआम बदनाम हुई, मगर टूटी नही मैं, हिम्मत और हौसले कम नही है मेरे, मुझे भरोसा है मेरे इरादों पर, इस जगत का उद्धार एक नारी ने किया, मैं नारी हूँ गर्व से कहती हूँ मैं, बस आधुनिक नारी हूँ मैं, हर रोज लड़ी कई जज्बा