अनजान मुसाफ़िर- भाग-8

कहानी-अनजान मुसाफ़िर भाग-8

सूरज की रोशनी चारो तरफ फैल चुकी थी। मां नाश्ता बना कर सबके आने की प्रतीक्षा करने लगी। रेवती पहले नाश्ते की टेबल पर इतना शोर मचाती थी कि सब परेशान हो जाते थे। मगर आज सुबह तो हुई मगर अब वो रेवती बहुत बदल गई थी। न वो मुस्कुराहट न वो बचपना । पूरा घर सिर पर उठाने वाली रेवती अब बहुत गुम सुम सी थी। पापा और मां तो सोच रहे थे कि पता नही क्या बात है । पूरा घर सकते में था कोई कुछ पूछता भी तो ' कुछ  नही ' का रिस्पॉन्स दे देती । मन ही मन घुट रही थी किसी को कुछ बता भी नही सकती थी। ऋषभ ने तो उसकी खबर तक नही ली कि वो कैसे जी रही है उसके बिना। दो प्यार करने वालो के बीच इतनी दूरियां उन दोनों ने सोचा तक नही था कि एक दिन वो अलग तो होंगे ही साथ ही उनका रिश्ता इस कदर टूट कर बिखर जायेगा। किसका ज्यादा नुकसान हुआ ये तो नही पता मगर अगर रेवती की हालत को देखा जाये तो सबसे ज्यादा तकलीफ वही सहन कर रही थी। हर रोज फ़ोन करती मगर ऋषभ का नंबर बन्द आता। उसने एक फैसला कर ही लिया । 

ट्रिंग ट्रिंग घन्टी जा रही थी मगर वर्षा फ़ोन क्यूं नही उठा रही  10वी बार कॉल कर रही थी रेवती। अबकी बार वर्षा ने उठाया उधर से आवाज आई।

'हेल्लो रेवती कहाँ है यार। न कोई कॉल न कभी कॉलेज क्या बात है यार!!

रेवती- मुझे मिलना है तुझसे??

अभी और सुनो बहुत जरूरी बात भी कहनी हैं प्लीज़ आ जाओ घर।

ओके आती हूँ थोड़ी देर में और सुन मैं तेरी दोस्त हूँ समझ सकती हूँ तेरी इन सब परेशानियों की वजह।

'ऋषभ इतना कमीना निकलेगा सोचा नही था'

रेवती-क्या तुमको पता है कि वो मुझसे दूर क्यूँ गया??

' नही मुझे नही पता क्यूं??

 वर्षा बोली और अगर वो मुझे कही मिल गया तो उसकी ऐसी क्लास लूंगी कि उसका दिमाग ठीक हो जाएगा!

रेवती- काश की वो तुझे कही मिल जाये। उसको हर रोज फ़ोन करती हूँ मगर फोन स्वीच ऑफ है।

हम्म यार मैंने भी किया वर्षा बोली।

'अच्छा ठीक जल्दी आओ' बहुत जरूरी बात करनी है ओके फ़ोन रख रही हूँ मिलकर बताती हूँ। हम्म बाये वर्षा ने फ़ोन काट दिया।

कमरे में इधर उधर टहल रही रेवती को कुछ समझ नही आ रहा था। कि वो वर्षा को इतना बड़ा सच कैसे बतायेगी। उसने प्रेग्नेंसी टेस्ट भी किया पॉजिटिव आ रहा है सब। उसका सिर फटा जा रहा था । बेचैनी और उलझन के कारण उसको रोना आ रहा था । अगर मौत का रास्ता चुनती तब भी उसके घर वालो को पता ही चल जायेगा। समाज का डर और घरवालो की बदनामी से उसको और घबराहट हो रही थी। तभी डोर बेल बजी लगता है वर्षा आ गयी है! खिड़की से झाँक कर देखा तो वर्षा ही आ रही थी उसके कमरे की तरफ।

'क्या हाल बना रखा है रेवती ?? यार क्या उस प्यार के लिये तू हम सबको भूल जायेगी ???

"नही ! वर्षा मैं किसी की वजह से किसी को नही भूली। तू तो मेरे बचपन की सहेली है प्लीज़ मेरी प्रॉब्लम को समझ और मैं एक राज बताना चाहती हूँ तुझको । बोलते हुए आंखों में बर्बस ही आँसुओ की बरसात होने लगी !!

मगर प्रॉमिस कर कभी किसी को  भी नही।

अच्छा बता तो क्या बात है!

"मैं प्रेग्नेंट हूँ!! रेवती ने एक झटके में बोल दिया ।

क्या??????? तू मजाक कर रही है वर्षा ने रेवती को बोला ।

ये कैसे हो सकता है यार वर्षा कुछ परेशान सी होकर बोली -और अब कहाँ से ऋषभ को ढूंढ़ कर लाएंगे । यार क्या कर दिया तूने!!

'सिंगल मदर ' का मतलब पता है तुझे??

तुझे और तेरे बच्चे और तेरे घरवालो का जीना मुश्किल कर देगा ये समाज।ऊपर से जब ऋषभ तक को नही पता ये सब और सबसे बड़ी बात ये है कि कहाँ से लायेगी इतनी हिम्मत और गले लगकर रोने लगी वर्षा रेवती के!!

आज तक इतना कुछ सहती रही और मुझे बताया तक नही । काश आज ऋषभ तेरे साथ होता !!

फिर क्या सोचा है तुमने ??

वर्षा ने बात को गंभीरता से लेते  हुए बोली।

' मैं इस बच्चे को दुनिया मे लाना चाहती हूँ' 

उस बच्चे को अवॉयड नही करना मुझे।

और मम्मी पापा??? वर्षा बोली!

रेवती- मम्मी पापा भाई बहन सबसे दूर जाकर इस बच्चे को जन्म दूँगी। बस तेरी एक जिम्मेदारी है वो निभा दे। इसकी माँसी मां होने का फर्ज!!

ठीक है कुछ सोचती हूं फिर तुझे कॉल करती हूँ।

'हम्म और जल्द से जल्द सोचना वक़्त कम है हमारे पास रेवती ने वर्षा को बोला।

वर्षा- ठीक शाम को बताती हूँ। ओके अब चलती हूँ!

ओके बाये।और वर्षा अपने घर की तरफ मुड़ गयी।

(अगले शेष भाग में)  जल्द ही ,क्रमशः






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