लघुकथा- हैप्पी वेलेंटाइन डे

रिया खुद को  बहुत ही होशियार और आधुनिक युग की लड़की समझती अगर दादी कभी कह भी देती कि बिटिया जरा संभल कर कदम रखा कर जवान लड़कियों के ये लकछन ठीक नही और ये लाल लिपिस्टिक और काजर लगा कर कालिज जाती हो तेरे बाप को तो बस पैसा कमाने के सिवाय कुछ दिखता ही नही। और मां को घर के कामो से फुर्सत नही है कोई ध्यान ही नही देता है इसपर रिया बड़ी बड़ी आंखे मटका कर बोलती दादी आप भी न गवारो जैसी बातें मत किया करो ये मुम्बई है ।आपका वो   गांव यहां के लोग वहां के जैसे नही है । आप भी डैड के साथ यहाँ आ गयी वरना आप भी अंकल के साथ उस धूल और गोबर में सड़ती। और मुँह बिचका कर अपने कमरे में चली गयी। मोबाइल पर रवि की 9 मिसकॉल  !अरे  आज तो वैलेंटाइन डे और आज तो उसको रवि से मिलना था। ओफ्फो दादी के चक्कर मे भूल ही गयी थी।

रवि को कॉल की घँटी जा रही थी उधर से फ़ोन उठाया रवि ने।

"कहाँ थी " गुस्से में रवि बोला।

रिया- सॉरी जानू । वो कुछ प्रॉब्लम थी सॉरी यार प्लीज़ मान जाओ न।

रवि- ठीक लेकिन मेरी शर्त है अभी मिलने आओ।

हम्म आती हूँ। बोलकर फ़ोन काट दिया।

बहुत छोटी सी ड्रेस पहनकर कमरे से बाहर आई रिया को देखकर दादी की आंखे फटी रह गयी। बोली ये सब क्या है दिमाग तो सही है तेरे।

" दादी आपकी प्रॉब्लम क्या है" यहाँ ये सब आम बात है।और प्लीज़ मेरा मूड खराब मत करो। और ये बोलकर रिया चली गयी।

दादी सोचती रही कि कैसे माँ बाप है ये जिनको कोई चिंता ही नही । बेटी हाथ से निकली जा रही है।रेस्टोरेंट में आज खूब सजावट थी। वेलेंटाइन डे मनाने की होड़ दिख रही थी या यूं कहें बेशर्मी की हद को लांघते नवयुवक और नवयुवतियों जो बहुत ही अमीर घर से थे उन्ही में रिया और रवि भी पार्टी एन्जॉय करते रहे।थोड़ी ही देर में कुछ सड़कछाप और लफंगे से दिखने वाले 4 लड़के रेटोरेन्ट में घुसे और शराब के नशे में रिया से छेड़छाड़ करने लगे रवि ने उन लोगो को मना किया हाथापाई हुई और वो गुंडे रिया को उठाकर सुनसान इलाके में ले जाकर एक एक करके सबने उसका रेप किया और उसी हालत में छोड़कर भाग गये और रिया का वेलेंटाइन  जिसके प्यार में पागल रिया सारी हदे तोड़ रही थी । आज उसी प्यार ने उसकी रक्षा तक नही की। क्या इसीलिए मानते हैं वैलेंटाइन डे????कही दूर शोरशराबे की और तेज संगीत की आवाज गूंज रही थी रिया के कानों में और उसकी इज्जत भी तार तार हो गयी थी।रिया आज दादी की बाते याद कर रही थी।काश की सुन लेती मैं उनकी बात???

"उपासना पाण्डेय"आकांक्षा

हरदोई(उत्तर प्रदेश)

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