मेरी कलम से

      मेरी कविता-बस जी लूँ जरा



प्यार कभी नही मरता.... बस सांसे साथ छोड़ 
देती है,वरना हमे उनसे साथ मोहब्बत कितनी
ये एक रोज उनको बता देती मैं
कभी खत्म न होती मोहब्बत हमारी
हर रोज एक नई दास्तान लिखती मैं
तुमको रोज पढ़ती उस किताब के जैसे
तुमसे मिलती एक खत्म न होने वाली मुलाकात की तरह, रोज नए किस्से लिखते मोहब्बत के
खातिर,और हर रोज तुम्हारी तसवीर बनाती
कभी तुम जो कहते कि रूठ जाओगे
तो हम हाथों को थाम कर तुम्हारे
मना ही लेते है,कुछ रूठना लिखती तुम्हारा
हर रोज नई बाते करते ,हर रोज संवरती मैं
बस अब ये सब ख्वाब सा लगता है
बस खुद को यूँ मायूसी की नज़रों से देखना है
मगर फितरत नही की बदल जाएंगे हम
अगर सोचते हो कि हम भूल जायेगे तुम्हे
तो सिर्फ वहम है मेरे सनम।।

"उपासना पाण्डेय(आकांक्षा)
हरदोई(उत्तर प्रदेश)

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