कविता- दिल की बात दिल ही जाने तुम हकदार हो उन शब्दों के, जो आज तक कभी कह नही पायी, तुम न मिले होते तो क्या लिख पाती, इन शब्दों को लिखने के लिए, जज्बात तुम बने , मैं कलमकार थी, तुम शब्द...
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ, कमजोर नही हूँ मैं, सीमा को लांघना सीखा नही कभी, ऐसे संस्कार मुझे मिले नही, पहनती हूँ जीन्स टॉप भले ही, मगर बुजुर्गों का सम्मान करना सीखा है मैंने, को...