मेरी प्यारी माँ

माँ एक शब्द नही है संसार बसता है उसमें,

अपने खून से सींचकर हमे जीवन देती है,

कितनी भी मुश्किलें क्यूँ न सहे,

मगर कभी कुछ नही कहती है,

कब मुझे भूख लगी कब मुझे प्यास लगती है,

न जाने कैसे समझ जाती है माँ,

बिना मेरे कुछ कहे सब समझ जाती है माँ,

खुद तो भूखे रह लेगी माँ,

अपने हिस्से का हर निवाला क्यूँ बांट देती है माँ,

पालपोसकर इतना बड़ा कर देती है माँ,

फिर भी कभी एहसान जताती नही माँ,

कभी प्यार से डांट देती है माँ,

और एक पल में ही मना लेती है माँ,

नसीब वालो को मिलता है प्यार माँ का,

मेरे दिल मे बसती है मेरी माँ,

कितना प्यार देती है माँ ये शब्द कम पड़ जायेंगे,

मेरे ज़िन्दगी का अहम हिस्सा है मेरी माँ,

उसने ही ये संसार दिखाया,

मुझे चलना सिखाया हर कदम पर गिरने से बचाया,

मेरी प्यारी माँ तुम न होती तो मैं ना होती,

इन आँखों से कैसे संसार को देखती,

बस मेरे पास सदा रहना प्यारी माँ,

कभी खुद से दूर न करना मेरी माँ,

'आकांक्षा पाण्डेय'उपासना

हरदोई(उत्तर प्रदेश)

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