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Showing posts from November, 2017

कविता- ये जरूरी तो नही( यादों में कैद)

हर मोहब्बत करने वाले को मोहब्बत मिले ये जरूरी तो नही, साथ भले ही न मिले मुझे तेरा,  हर शख्श से मुझे मोहब्बत हो , ये जरूरी तो नही, तुमसे मोहब्बत हो गयी मुझे, किसी और को उस नज़र से देख...

प्रतिलिपी कहानी

"किस्मत से मिले हो तुम", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : http://hindi.pratilipi.com/akanskha-pandey-upasna/kismt-se-mile-ho-tum?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओँ में अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और दोस्तों से साझा करें, पूर्णत: नि:शुल्क

डायरी की शायरी

Mid Night Diary Follow my writings on https://www.yourquote.in/upasnapandey #yourquote

लघुकथा-अनजाने रिश्ते की डोर

मीरा ने सुबोध से जिंदगी भर का साथ माँगा। मगर किस्मत भी अजीब खेल खेलती है। शादी के एक साल बाद ही मीरा ने सुबोध को खो दिया।  जिंदगी कितनी निराश हो गयी थी! हर सपना कांच की तरह टूट ग...

लघुकथा- ख़ुशनसीब हूँ मैं

आरोही को आरव की बहुत याद आ रही थी। आरव उससे इतनी दूर जो था। हर रोज अखबारों में बेवफाई और धोखेबाज़ी की किस्से तो पढ़ती थी! कभी कभी उसका दिल डर भी जाती कि कही उसका आरव भी उसको धोखा न ...

बालदिवस की हार्दिक बधाई

कभी मुस्कान कम न हो इन प्यारे से बच्चो की,यूँ ही खिलखिलाहट रहे चेहरे पर, बस इनको मिले आसमान सारा,और खुशियों का भंडार, कितने सपने अनगिनत है इनकी आंखों में, ये बचपन यूँ ही हँसते ...

प्रतिलिपी में प्रकाशित मेरी नई कहानी- अनजान मुसाफ़िर

"अनजान मुसाफ़िर", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : http://hindi.pratilipi.com/akanskha-pandey-upasna/anjaan-musafir?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओँ में अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और दोस्तों से साझा करें, पूर्णत: नि:शुल्क

कहानी-अनजान मुसाफ़िर

अनजान मुसाफिर"-भाग-1 कितनी हसीन शाम थी, वही हल्की गुलाबी शाम जो ऋषभ को बहुत पसंद थी। मगर क्यों उदास सा था।क्यूं सब कुछ था।मगर उसको किसी की कमी खल रही थी।कही ये रेवती की कमी तो न...

कविता- मुस्कुराहट वापिस लाऊंगी

हमने भी उन चेहरे में सुकून ढूंढ़ लिया, जिनका बचपन न जाने कहाँ खो गया है, हर रोज उस मासूम को संघर्ष करते देखती हूँ, किस्मत सी रूठी है उसकी, कूड़े कचरे के ढेर में खुद के लिये क्या ढूं...

आत्ममंथन- ( खोने लगा बचपन) भाग- 2

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आज के दौर में जो बचपन खो रहा है । उसका मुख्य कारण यह है कि लोग बच्चो को एकल परिवार में रखते हैं । पहले परिवार का प्यार और साथ दोनो ही मिलते थे बच्चो को। दादा -दादी ,बड़े बुजुर्गों ...

आत्ममंथन-(खोने लगा बचपन) भाग-1

आज के आधुनिक परिवेश ने अगर किसी को ज्यादा प्रभावित किया है तो वो है बच्चे। युवा भी अपना कीमती वक़्त मोबाइल( गैजेटस ) में ही बर्बाद कर रहे हैं। आज मैं इसी विषय पर कुछ लिखना चाहती ...

कहानी -भीड़ में अलग था वो

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रोजी को आज लखनऊ जाना था। तड़के सवेरे पहुचं गयी रेलवे स्टेशन ।उसका मेडिकल का एग्जाम था।स्टेशन पर काफी भीड़ थी। नवयुवको और नवयुवतियों की भीड़ थी।वो भी शायद एग्जाम देने जा रहे थ...