कविता- ये जरूरी तो नही( यादों में कैद)

हर मोहब्बत करने वाले को मोहब्बत मिले ये जरूरी तो नही,

साथ भले ही न मिले मुझे तेरा,

 हर शख्श से मुझे मोहब्बत हो ,

ये जरूरी तो नही,

तुमसे मोहब्बत हो गयी मुझे,

किसी और को उस नज़र से देखूं,

ये भी जरूरी तो नही,

तुमने वफ़ा की मुझसे ,

हर कोई वफ़ा करे ये जरूरी तो नही,

तुम्हारी मोहब्बत मिली ये कोई कम है क्या,

अब ज़िन्दगी भर का साथ मिले,

ये जरुरी तो नही,

जानती हूँ कि तुम्हे पाना इतना आसान भी नही है,

मगर हार मान लूँ ये भी तो सही नही,

वक़्त कुछ देर साथ देगा जरूर,

क्या पता किस्मत साथ दे दे मेरा,

हर बार ठोकर मिले जरूरी तो नही.

मुझे तुम मिल जाओ,

ऐसी किस्मत नही है मेरे पास,

लेकिन खुद को बदनसीब समझूँ,

ये भी तो ठीक नही है,

तुम्हारी मोहब्बत के हकदार सिर्फ हम ही तो हुऐ,

ज़िन्दगी भर साथ रहे ये जरूरी तो नही,

जुदा हो जाये ये किस्मत की बात है,

हम तुम्हे भूल जायेगे, 

ये कभी सोचना नही,

यादों में एक शख्श रहेगा ताउम्र,

उन यादों से निकाल दूंगी तुम्हे,

ऐसा कभी होगा नही,

दर्द तो होगा दिल को बहुत तेरे जाने के बाद,

लेकिन सबको मोहब्बत में मोहब्बत मिले,

ये जरूरी तो नही.

'उपासना पाण्डेय'(आकांक्षा)

आज़ाद नगर हरदोई(उत्तर प्रदेश)

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

कविता-रिश्तों के भंवर में

मेरी कलम से।