कविता- मुस्कुराहट वापिस लाऊंगी
हमने भी उन चेहरे में सुकून ढूंढ़ लिया,
जिनका बचपन न जाने कहाँ खो गया है,
हर रोज उस मासूम को संघर्ष करते देखती हूँ,
किस्मत सी रूठी है उसकी,
कूड़े कचरे के ढेर में खुद के लिये क्या ढूंढ़ रहा है,
क्या ख्वाब होंगे उसकी आँखों मे ,
खुद के लिये क्या सोच रहा होगा,
भूखे पेट के लिये रोटी की तलब है उसे,
हर रोज देखे हैं मैंने ऐसे ही मासूम,
जिनकी ज़िन्दगी में गरीबी और लाचारी है,
कहने को तो लोगो के पास दया का भंडार है
मगर ये सब झूठी शान है,
अगर दयाभाव होता इनके पास तो,
क्यूँ नही दिखते लोगो को चेहरे उदास,
अगर हम इन मासूम बच्चो को मुस्कुराहट दे ,
खुद के अंदर के इंसान को जगाओ,
इन बच्चो के चेहरे पर जो मुस्कान नज़र आयेगी,
हमारे मन को सुकून दे जायेगी,
इनके जीवन मे भर के रोशनी,
इनके जीवन का अंधियारा मिटाना है,
किसी मासूम का बचपन से खिलवाड़ न होने दे,
बचपन लौटाकर इंसान होने का फर्ज निभाओ,
क्या जिये अगर सिर्फ खुद के लिए जिये,
कभी किसी के चेहरे पर मुस्कान तो लाओ,
"उपासना पाण्डेय"(आकांक्षा)हरदोई(उत्तर प्रदेश)
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