सामाजिक लेख-समाज सेवा के दो पहलू

हमारे देश मे समाज के हित के लिए करोड़ो सामाजिक संस्थाये चलाई जा रही है । खासकर युवा वर्ग खास कर जो स्टूडेंट है। युवाओं का ये जोश देखकर लगता है कि वाकई यह गऱीबी और भुखमरी को दूर करने का प्रयास करते भी है। उदाहरण के लिये एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट अविनाश कुमार सिंह बलिया से जिन्होंने अपने बलबूते ही खुद की संस्था शुरू की बहुत ही अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं। मगर शुरूआत में कितनी कठनाइयों का सामना किया और लोगो ने सहयोग के बदले उपहास किया कि इंजीनियरिंग स्टूडेंट भला ये काम कैसे कर सकता है। 2016 में शुरू हुई आज ये संस्था बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करती है। मन मे एक जज्बा है देश की गरीबी को मिटाने की। युवा चाहे तो कुछ भी कर सकता है। गरीबो और असह्यय लोगो की मदद करने के अलावा ये संस्था और भी बहुत अच्छे कदम की ओर अग्रसर है। बस समाज सेवा के बदले में खुशी मिल जाये यही बहुत है। मगर कुछ संस्थाओं में समाज सेवा कम पैसे की भूख दिखती है। गरीबो के लिऐ आये पैसे पर भूखे भेड़िये सी नज़र रखने वाली संस्थाओ पर शिकंजा कसना चाहिये। क्योंकि उनको सरकार पैसा तो दे रही मगर वो गरीबो के हित में खर्च भी हो रहा है या नही देखना चाहिये। युवाओं के बलबूते ही हमारे देश की गरीबी मिटाई जा सकती है। बस इस समाज सेवा के लिये अच्छे और ईमानदार और कर्मठ युवाओं की आवयश्कता है युवाओं को अवसर दे । बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकना होगा ऐसी संस्था को मौका दे वाकई में कुछ करना चाहती है। सोचे कि एक युवक जिससे कही भी अच्छी सैलरी पैकेज उपलब्ध है फिर भी वो नौकरी छोड़कर समाज सेवा कर रहा है।  क्या वह किसी निजी फायदे के लिये खुद के पैसों से समाज की सेवा कर रहा है। मेरी नज़र में यही सच्ची सेवा है । भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका बहुत ही अहम है। जय हिंद जय भारत

'उपासना पाण्डेय'आकांक्षा

आज़ाद नगर हरदोई(उत्तर प्रदेश)

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